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36वें अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता सम्मेलन : विश्व के प्रमुख धार्मिक नेताओं ने ली शांति और एकता की शपथ

नई दिल्ली। संत दर्शन सिंह जी धाम, बुराड़़ी, दिल्ली में आयोजित 36वें अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता सम्मेलन में विश्वभर से आए अनेक धार्मिक नेताओं और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जो विश्व शांति और मानव एकता पर अपने विचारों को शेयर करने के लिए विश्व के सबसे बड़े सांझे मंच पर एकत्रित हुए थे। सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख और अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता सम्मेलन के अध्यक्ष परम पूजनीय संत राजिन्दर सिंह जी महाराज के सान्निध्य में 22-23 फरवरी को 36वें अंतर्राष्ट्रीय मानव सम्मेलन के दौरान प्रभु-प्रेम और मानव एकता के विषय पर ध्यान केन्द्रित किया गया।


यह सम्मेलन विश्व धर्म संघ और मानव एकता सम्मेलन के संस्थापक अध्यक्ष परम संत कृपाल सिंह जी महाराज के 131वें प्रकाश पर्व के अवसर पर आयोजित किया गया था। जिन्होंने फरवरी, 1974 में प्रथम मानव एकता सम्मेलन आयोजित किया था। इस अवसर के महत्त्व को और बढ़ाते हुए, इस कार्यक्रम में संत दर्शन सिंह जी धाम के उद्घाटन के 25 वर्ष भी मनाए गए, जोकि दयाल पुरुष संत दर्शन सिंह जी महाराज के सम्मान में स्थापित रूहानियत से भरपूर एक आध्यात्मिक स्थल है। 25 वर्षों से यह स्थान दुनिया भर के साधकों के लिए शांति, ध्यान और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक रहा है।


भारत और विदेशों से आए विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए परम पूजनीय संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने प्रेम, एकता और ज्ञान के सिद्धांतों के अनुसार जीवन जीने के महत्त्व पर बल दिया।
परम पूजनीय संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने उद्घाटन अवसर पर अपने संदेश में कहा कि, “परम संत कृपाल सिंह जी महाराज ने हमें खुद को जानने और आत्म-ज्ञान तथा प्रभु-प्राप्ति के मार्ग पर चलने का आग्रह किया। उनका विश्व-व्यापी संदेश “एक बनो, नेक बनो, एक रहो” जीवन के सच्चे सार को दर्शाता है और हमें उनके प्रकाश पर्व के सम्मान में इसे अपने जीवन में धारण करना चाहिए। उन्होंने हमें समझाया कि धर्म और रंग के बाहरी मतभेदों के बावजूद हम सभी प्रभु के दिव्य प्रेम के रेशमी धागे से बंधे हैं। आत्मा के रूप में हम पिता-परमेश्वर की अंश हैं लेकिन इस दुनिया के आकर्षण अक्सर हमें इस वास्तविकता से अनजान रखते हैं। ध्यान-अभ्यास के माध्यम से हम अपनी एकता के प्रति जागरूक होते हैं और प्रभु की दिव्य सत्ता को अपने अंतर में अनुभव करते हैं। वे अक्सर कहा करते थे कि हमें प्रभु-प्राप्ति के अपने जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रतिदिन ध्यान-अभ्यास करना चाहिए।
परम पूजनीय संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने उपस्थित सभी भाई-बहनों को दोनों समारोहों की बधाई दी तथा इन महान संतों के द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया।
पूजनीय संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि, “परम संत कृपाल सिंह जी महाराज ने अपना जीवन लाखों लोगों को प्रभु-प्राप्ति के रास्ते पर मार्गदर्शन करने के लिए समर्पित कर दिया। वे प्रभु के प्रकाश की किरण थे, जिन्होंने हमारी आत्मा के अंधकार को अपने ज्ञान से दूर कर हमारे जीवन को प्रकाशित किया। पिता-परमेश्वर ऐसे संतों-महात्माओं को मानवता के उत्थान के लिए इस धरा पर भेजते हैं। उन्होंने हमारे भीतर प्रभु के दिव्य-प्रेम को जागृत कर हमारे जीवन को परमानंद से भर दिया। जैसा कि हम संत दर्शन सिंह जी धाम के 25 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं तो इस अवसर पर मैं इन दोनों महान संतों की याद में यहाँ आयोजित होने वाले सम्मेलनों के लिए बहुत खुश हूँ। हमारा लक्ष्य इसे और भी सुंदर बनाना है क्योंकि यह मानव जाति की सेवा करने, ध्यान-अभ्यास करने और आध्यात्मिक रूप से विकसित होने के लिए एक पवित्र स्थान है।
इस सम्मेलन के दौरान 22 फरवरी को ’ध्यान-शाश्वत शांति और एकता का मार्ग‘ और 23 फरवरी को ’कृपाल – दिव्य प्रेम और ज्ञान महासागर‘ विषयों पर दो आध्यात्मिक सेमिनारों का आयोजन किया गया।
दो दिनों तक चलने वाले 36वें अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता सम्मेलन में विश्वभर से आए अनेक धार्मिक नेताओं और प्रतिनिधियों जिनमें, महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद जी महाराज, निज़ामुद्दीन औलिया दरगाह से सैयद फरीद अहमद निज़ामी, ऋषिकेश से आए महंत श्री रवि प्रपन्नाचार्य जी महाराज, श्री भैणी साहिब से संत निशान सिंह जी, फादर बेंटो रोड्रिग्स, आचार्य येशी फंटसोक, केन्द्रीय मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा, आचार्य स्वामी देवेन्द्रानंद गिरि जी महाराज, श्री श्री भगवान आचार्य जी महाराज, रब्बी एजेकिल इसाक मालेकर, विवेक मुनि जी, फादर एम.डी. थॉमस और गोस्वामी सुशील जी महाराज ने अपने विचार रखें।

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