संत राजिन्दर सिंह जी महाराज
पतझड़ का मौसम अपने लाल, संतरी और पीले रंगों से फूलों और वृक्षों को भर देता है। पतझड़ में हम देखते हैं कि लोग झड़ी हुई पत्तियों को हटाने के लिए उन्हें इकट्ठा करके जला देते हैं। कोई भी नहीं चाहता कि झड़ी हुई पत्तियों के कारण पतझड़ की खूबसूरती में कोई फर्क पड़े।
अगर इसे हम आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें तो हमारे अवगुण या गलतियाँ उन झड़ी हुई पत्तियों को दर्शाते हैं। हमारे अंदर कई प्रकार के अवगुण हैं जिन्हें इकट्ठा करके जलाना अर्थात अपने अंदर से बाहर निकालना है। जैसे हमें क्रोध और हिंसा का अपने अंदर से खत्म करना है ताकि हम प्रेम का स्त्रोत बन जाएं। हमें झूठ, बेईमानी, धोखे और पाखंड को अपने अंदर से दूर करना है, जिससे हम सच्चे बनें। हमें उन अवगुणांे को अपने अंदर से हटाना है, जो हमारे अंदर पवित्रता का विकास होने से रोकते हैं। हमंे अपने अहंकार को खत्म करना है, ताकि हम विनम्र बन सकें। हमें अपने स्वार्थ को हटाना है, जिससे कि हम निःस्वार्थ बन सकें। हमें माँसाहारी भोजन खाने और ड्रग्स एवं नशीले पदार्थ लेने की आदत को हटाना है, जिससे कि हम शाकाहारी बन सकें।
हमें प्रभु के धाम में प्रवेश पाने के लिए स्वयं को पवित्र करने की आवश्यकता हैं। स्वयं की बेहतरी के लिए है कि हम खुद को अंदर से साफ करते हैं। प्रभु अपने निजघर में हमारा इंतज़ार कर रहे हैं। हमें उनके पास लौटने की आवश्यकता है। जितनी जल्दी हम अपने अवगुणों पर काबू पा लेंगे जो हमें प्रभु से दूर रखते हैं, हमारे लिए उतना ही बेहतर होगा। जब हम झड़ी हुई पत्तियों को निकाल कर फेंकते हैं, तब हमारे पास एक साफ क्षेत्र होता है। ठीक ऐसे ही जब हम अपने अंदर से अवगुणों को बाहर निकाल फेंकते हैं तो हम अंदर से साफ व पवित्र हो जाते हैं, जोकि ध्यान-अभ्यास में हमारी काफी मदद करता है। हम एक चिंतामुक्त जीवन व्यतीत करते हैं।
ध्यान-अभ्यास हमें मात्र तनाव से मुक्ति ही नहीं देता बल्कि इसके माध्यम से हम अंतर के नज़ारों को भी देख सकते हैं। जब हम झड़ी हुई पत्तियों अर्थात अवगुणों को अपने अंदर से निकाल फेंकते हैं जोकि अंतर के खूबसूरत दृश्यों को देखने में बाधा डालते हैं, तो हम ध्यान-अभ्यास के दौरान उन नज़ारों को स्पष्ट रूप से देख पाते हैं।
आईये! हम अपने अंदर से अवगुणों को बाहर निकाल फंेके और ध्यान-अभ्यास में समय दें ताकि हम अंतर रंगों की खूबसूरती का आनंद उठा सकें, यही हमारे लिए पतझड़ का संदेश है।