देहरादून। प्रदेश में सहकारी समितियों के वित्तीय लेनदेन को प्रोत्साहित करने के लिए बुधवार को उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ दीपनगर देहरादून के सभागार में उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक द्वारा सहकारिता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य सहकारिता में सहकार के राष्ट्रव्यापी अभियान को मूर्त रूप देने को लेकर था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए मंत्र सहकार से समृद्धि के तहत 21 मई 2023 को गुजरात के बनासकांठा और पंचमहल में केंद्रीय सहकारिता मंत्री द्वारा सहकारिता में सहकार को बढ़ावा देने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की गई, जिसके तहत सहकारी बैंकों के साथ प्राथमिक डेयरी सहकारी समितियों के वित्तीय लेनदेन को प्रोत्साहित करना है। पायलट परियोजना की सफलता के उपरांत सहकारी क्षेत्र को जमीनी स्तर पर सशक्त करने से लेकर प्राथमिक कृषि ऋण समितियों से शीर्ष पहल के तहत अपनी आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए सहकारिता में सहकार पर एक राष्ट्रीय अभियान शुरू किया गया है।इसी क्रम में उत्तराखंड में भी सहकारी क्षेत्र को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए कार्यशाला हुई। कार्यशाला के आरंभ में प्रबंध निदेशक राज्य सहकारी बैंक नीरज बेलवाल द्वारा पीपीटी के माध्यम से गुजरात में पायलट जिलों और राज्यव्यापी अभियान के दौरान उपलब्धियां बताई गईं। उन्होंने बताया कि किस तरह गुजरात मॉडल की तर्ज पर उत्तराखंड में भी अभियान का उद्देश्य प्राथमिक कृषि ऋण समितियों और प्राथमिक डेयरी सहकारी समितियों को जिला/राज्य सहकारी बैंक के माध्यम से विभिन्न बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच प्राप्त करने में सक्षम बनाना है, जिससे उत्तराखंड राज्य में सामाजिक और आर्थिक पिरामिड के निम्न स्तर में उन्हें मोटे तौर पर उद्देश्यों को निम्न अनुसार वर्गीकृत किया जाए।
प्रबंध निदेशक राज्य सहकारी बैंक नीरज बेलवाल ने बताया कि कार्यरत प्राथमिक डेयरी सहकारी समितियों और अन्य गैर-क्रेडिट सहकारी समितियों को बैंक मित्र के रूप में नियुक्त किया जाना है। इन समितियों को एक माइक्रो एटीएम का एक लघु संस्करण प्रदान किया जाएगा जिससे वे सामाजिक-आर्थिक पिरामिड के निचले पायदान पर रहने वाले लोगों को बैंकिंग सेवाओं की सेवा दे सकें। सचिव सहकारिता दिलीप जावलकर द्वारा कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा गया कि सहकारिता आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए जमीनी स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है और इसके लिए हमें अपनी समितियों को सशक्त करने पर जोर देना होगा। जिसके लिए हमें अब प्रत्येक गांव में बहुउद्देशीय सहकारी समितियों का गठन करने की आवश्यकता है। यदि ग्रामीण स्तर पर सहकारिता से हर किसान को जोड़ दिया जाए, तो राज्य अपने आप समृद्ध हो जाएगा। इसके लिए हमें दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ ग्राउंड जीरो पर कार्य करने की आवश्यकता है और इसमें शासन स्तर पर हर संभव मदद भी की जाएगी।
सहकारिता मंत्री डॉक्टर धनसिंह रावत ने कार्यशाला के समापन अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखंड राज्य सहकारिता के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उत्तराखंड राज्य की अधिकतर सभी सहकारी समितियां और सभी जिला सहकारी बैंक आज लाभ की स्थिति में हैं। प्रदेश में 7-8 वर्षों में सहकारिता के क्षेत्र में पारदर्शिता के साथ अभूतपूर्व कार्य हुए हैं। उत्तराखंड की सभी शीर्ष सहकारी संस्थाएं लाभ में हैं। रेशम फेडरेशन पिछले 7 वर्षों में लाभ की स्थिति में आ गया है। सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि वह प्रत्येक माह में 10 दिन सहकारिता को देते हैं, जिसके तहत अब वह सभी जनपदों में स्वयं सहकारिता के कार्यों का मूल्यांकन करेंगे और किसानों से सीधा संवाद कर गोष्ठी के माध्यम से फीडबैक लेंगे। डॉ. रावत ने बताया कि आज उत्तराखंड में मुख्यमंत्री घसियारी योजना की देशभर में प्रशंसा हो रही है। वर्ष 2025 सहकारिता वर्ष घोषित होने जा रहा है। ऐसे में उत्तराखंड राज्य को सहकारिता के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों में शुमार करने का यह उपयुक्त समय है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि अब ग्रामीण स्तर पर बहुउद्देशीय समितियों का गठन किया जाएगा। जिन गांवों में संख्या कम है, वहां ग्राम सभा स्तर पर समितियों का गठन होगा। मार्च 2025 तक यह कार्य पूर्ण होगा।