शंकरपुर गोशाला का संचालन नहीं करेगी संस्था

देहरादून। शंकरपुर गोशाला का संचालन कर रही दून एनिमल वेलफेयर सोसाइटी ने नगर निगम के आरोपों का खंडनकरते हुए दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया। साथ ही आज शाम छह बजे के बाद से गोशाला के संचालन से हाथ खड़े कर दिए हैं। पशुओं के भरण-पोषण के लिए वास्तविक व्यय से लगभग आधी धनराशि दिए जाने के कारण भी उन्होंने गोशाला के संचालन में असमर्थता जताई।
मंगलवार को प्रेस क्लब में दून एनिमल वेलफेयर सोसाइटी के फाउंडर आशु अरोड़ा और मिली अरोड़ा ने कहा कि पशुपालन विभाग की ओर से प्रति गोवंश 80 रुपये की दर से प्रतिदिन का अनुदान मिलता है। जबकि एक गोवंश की समुचित सेवा, चिकित्सा, देखभाल एवं भरण-पोषण पर प्रतिदिन रुपये 150 या उससे अधिक की राशि व्यय होती है। नगर निगम की ओर से कोई अतिरिक्त सहयोग नहीं किया जाता। उन्होंने इंटरनेट मीडिया पोस्ट में गोशाला में गोवंश की संख्या कम होने का खंडन किया। संस्था को उपचार के लिए डाक्टर की व्यवस्था नगर निगम द्वारा की जाती है। अधिकतर दवा भी नगर निगम उपलब्ध कराता है और संस्था को अधिकतर दवा दान स्वरूप प्राप्त होती हैं, जिनमें कुछ शार्ट एक्सपायरी वाली भी होती हैं। संस्था के निजी संचालन वाली गोशालाओं में दो एम्बुलेंस उपलब्ध हैं, जिन्हें आवश्यकता अनुसार शंकरपुर में भी प्रयोग किया जाता है।
उन्होंने सवाल उठाया कि उत्तराखंड के किसी भी राजकीय पशु चिकित्सालय में बड़े पशुओं को उठाने के लिए स्टेचर उपलब्ध नहीं हैं। जबकि, संस्था की ओर से अपने स्तर पर लोहे का स्ट्रेचर बनवाया गया है। सोसाइटी के संस्थापक ने कहा कि संस्था को समय-समय पर पशुपालन विभाग से सहयोग प्राप्त होता रहा है। सभी आवश्यक टीकाकरण नियमित रूप से कराए जाते हैं। लेकिन, नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी करीब तीन माह से गोसदन नहीं आए।