भगवान श्री कृष्ण ने गो सेवा, गो पूजन कर समाज को गो माता का माहात्म्य समझाया: भारती

देहरादून। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गंगेश्वर बजरंगदास चौराहा, सेक्टर-9, अमिताभ पुलिया के पास, गोविंदपुर, महाकुंभ मेला, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में भव्य श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें गुरुदेव आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी वैष्णवी भारती जी ने पांचवे दिवस की सभा में भगवान की लीलाओं का वर्णन किया। धर्म की स्थापना के लिये कान्हा गोपाल भी बनें। गो सेवा, गो पूजन कर हमें गाय का माहात्म्य समझाया।
महाभारत में दर्ज अनेकानेक उदाहरण हमें गो माता के सम्मान एवं रक्षण की प्रेरणा देते हैं। विष्णुधर्माेत्तर पुराणों में कहा गया कि गाय की सेवा से आप तैंतीस कोटि देवी-देवताओं को प्रसन्न कर सकते हैं। गो माता के पंचगव्य की बात करें तो उसमें गोमूत्र वैदिक काल से हमारे लिये लाभप्रद माना गया है। 400 से अधिक रोगों का उपचार इसी से संभव है। प्राचीन भारत में किसान बीज भूमि में रोपित करने से पूर्व धरती पर गो मूत्र छिडक कर उसे स्वच्छ बनाते। इसे गोमूत्र संस्कार कहा जाता था। गाय के दुग्ध को सात्त्विक, मेधाशक्ति बढ़ाने वाला, अनेक रोगों को समाप्त करने वाला कहा गया। गाय को मां उसकी आध्यात्मिकता एवं वैज्ञानिकता कारण कहा गया। परंतु अवध्या कही जाने वाली मां को काटा क्यूं जा रहा है? मंगलपांडे जैसे अनेकों वीरों ने जिस गाय की रक्षा हेतु अपने प्राणों की आहुति दी। हमें उसके संरक्षण, संवर्धन के लिये कदम उठाने होगें। उन्होंने आशुतोष महाराज द्वारा चलाये जा रहे कामधेनु प्रकल्प के विषय में बताया। जिस के अंर्तगत दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान भारतीय देसी नस्ल की गो प्रजातियों के संर्वधन के लिए संकल्पित है। गो के नस्ल सुधार पर कार्य किया जा रहा है। जो दुर्लभ प्रजातियाँ हो रहीं है उन को संरक्षित किया जा रहा है। क्योंकि गो बचेगी तो देश प्रगति कर सकेगा।